जीवन की थिरकन का नाम है संगीत
संगीत जीवन को ऊर्जा देता है, उदास मन को राहतों की पुलक से भर देता है इससे भी बढ़कर कई बार तो असंख्य असाध्य रोगों की दवा भी बन जाता है। प्रकृति के हर उपादान का अपना एक अनूठा संगीत है, जहाँ नदियाँ एक पुलक से निरंतर बहती रहती है, पक्षियों का कलरव और चहचहाहट एक सुखद वातावरण का निर्माण करता रहता हैं और कोयल की कूक हर मन के मौसम को बासंती कर देती है। यह संगीत और कलरव हर जगह है फिर चाहे वह मूर्त हो या अमूर्त । भीगे परिंदों के पंख पड़फड़ाने में भी एक संगीत है तो रेल की धड़ाधड़ी में भी वही संगीत है, पत्तों की सरसराहट हो या, हवा का निर्मल बहना या फिर मोतियों जैसी बरसती बूँदों का जलतरंग, सभी एक लय में संगीत की शास्त्रीय धुनों का आलाप रचते रहते हैं। संगीत रूदन में भी है तो संगीत हास में भी है बस ज़रूरत होती है उसे दो पल ठहरकर सुनने की, कुछ पल ही सही बस जी लेने की । आज हम जिस समय में सांसे ले रहे हैं वह विसंगतियों से भरा है। यहाँ बेहिसाब विकास है, तकनीक का जंजाल है अगर कुछ नहीं है तो वह है खुद से खुद की मुलाकात। इस मुलाकात में संगीत बेहद सहायक सिद्ध हो सकता है। सामवेद संगीत का स्रोत ग्रंथ माना जाता है जिसमें प्रारम्भ में केवल तीन स्वरों का ही उल्लेख है । इसके पश्चात् तीन से सात सुरों तक का सफर भी शोध और आनंद दोनो ही दृष्टियों से बहुत ही रोचक है। संगीत को केवल सात सुरों में ही नहीं बाँधा जा सकता है वरन् इसको मापने के लिए विश्व और ब्रह्माण्ड की समस्त सीमाएँ भी छोटी जान पड़ती है। संगीत वैविध्य की सीमाओँ में बँधे विश्व को एक सूत्र में बाँधने का काम करता है। संगीत के महत्व की अगर आज के परिप्रेक्ष्य में बात की जाए तो आज की जरूरत है संगीत। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार आज हर तीसरा व्यक्ति हाइपरटेंशन और अवसाद से ग्रस्त है । हाइपरटेंशन स्वंय अनेक बीमारियों को बुलाने का सामर्थ्य रखता है । अगर जीवन में कुछ पलों के लिए ही संगीत स्थान पा ले तो अनेक बीमारियों पर काबू पाया जा सकता है। यही कारण है कि सम्पूर्ण विश्व में संगीत एक थैरेपी बन कर उभर रहा है। कनाडा अवस्थित मैकगिल विश्वविद्यालय के स्नायु विज्ञान विशेषज्ञ एवं अपने समय के ख्यात रोक संगीतकार डैनियल लैविटीन का कहना है संगीत भावनात्मक जीवन में एक रूपक का काम करता है। भाषा के बरक्स संगीत भावनाओं का कहीं बेहतर प्रगटीकरण करता है। यही कारण है कि संगीत भावनात्मक उथल पुथल को व्यवस्थित करने में कारगर होता है। संगीत को करीब से सुनने पर उसमें डूब जाने पर वह ध्यान सा आनन्द देता है और यही संगीत जब रूह को जगाने लगे तो वह समाधि अवस्था तक पहुँचा देता है जिसके समक्ष जीवन के सातों सुख छोटे जान पड़ते हैं। मन की हर ऊभचूभ को संगीत थिर करता है बशर्ते की हर एक मन अपने होश हो हवाश में , दिल के हर कोने से ,रोम रोम से उस संगीत को सुने। आधुनिक शोधों से यह भी स्पष्ट है कि संगीत की मदद से एकाग्रता और स्मृति को भी बढ़ाया जा सकता है। आज तकनीक के इस युग में संगीत में भी अनेक प्रयोग किए जा रहे हैं परन्तु साथ ही चिंता का एक विषय यह भी हो सकता है कि शास्त्रीय संगीत कुछ ही लोगों तक सिमट कर रह गया है,संगीत के पारपंरिक घराने आज समाप्त हो रहे हैं।
बहरहाल संगीत के क्षेत्र में अब भी बहुत कुछ अनसुना है, बहुत रागें हैं, बंदिशें है जिसे सुनते हुए आप कब आध्यात्मिक गलियारों की जानिबें चढंते जाएंगे पता ही नहीं चलेगा। संगीत की समझ को अगर कुछ विकसित कर लिया जाए तो समय की धारा के भीतर प्रवेश कर उस के गूढ रहस्यों का पता लगाने तक का हुनर है संगीत के पास । वह यूँ ही नहीं रचा गया है ,कई व्यक्तित्वों के गहन शोध और तपस्या की प्रतिफल है संगीत। वेदो की ऋचाओँ का नृत्य बेमानी नहीं है शायद यही कारण है कि पूरब और पश्चिम दोनों ही संस्कृतियों ने युगों युगों तक इस पर शोध किया है और प्रतिफल में पाया है कि प्रकृति को मोहपाश में बाँधने तक का हुनर है संगीत के पास। यह शोध साहित्य में भी नजर आता है जहाँ कहीं अज्ञेय की असाध्यवीणा की तान है जिसमें संगीत की व्यष्टि से समष्टिपरक व्याख्या है तो कहीं फेदरिको के गिटार का रूदन । वस्तुतः किसी भी अभिव्यक्ति का चरम है संगीत , लय और ताल की उस जुगलबंदी का नाम है संगीत जो दिल के समस्त कोनों की थाह लेना जानता हो। चाहे आप उस्ताद सुल्तान खान की सारंगी सुने , या उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई को या फिर पश्चिम के कर्टकोबेन के झकझोरने वाले संगीत को या फिर हमारे ही अमीर खुसरों के भाषायी संगीत से ताल्लुक रखें बात सिर्फ इतनी सी है कि उसे सुने ज़रूर। संगीत से एक जुड़ाव और आत्मीय समझ विकसित करें । आज जंरूरत है नई पौध में भी संगीत की समझ विकसित करने की क्योंकि संगीत जीवन का दूसरा नाम है। यह अवसाद का इलाज है और चेतना को विकसित करने का नया आयाम है। प्रकृति और परिस्थतियाँ सदैव अनुकूल नहीं हो सकती । इसीलिए संगीत वह मुकाम है जहाँ पहुँचकर कभी भी मन की ऊसर जमीन को बारिशों से भिगोकर पुनर्ववा किया जा सकता है। अंततः संगीत और जीवन के इस अन्योन्याश्रित संबंध को सलाम और विश्व संगीत दिवस पर सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएँ।
संगीत जीवन को ऊर्जा देता है, उदास मन को राहतों की पुलक से भर देता है इससे भी बढ़कर कई बार तो असंख्य असाध्य रोगों की दवा भी बन जाता है। प्रकृति के हर उपादान का अपना एक अनूठा संगीत है, जहाँ नदियाँ एक पुलक से निरंतर बहती रहती है, पक्षियों का कलरव और चहचहाहट एक सुखद वातावरण का निर्माण करता रहता हैं और कोयल की कूक हर मन के मौसम को बासंती कर देती है। यह संगीत और कलरव हर जगह है फिर चाहे वह मूर्त हो या अमूर्त । भीगे परिंदों के पंख पड़फड़ाने में भी एक संगीत है तो रेल की धड़ाधड़ी में भी वही संगीत है, पत्तों की सरसराहट हो या, हवा का निर्मल बहना या फिर मोतियों जैसी बरसती बूँदों का जलतरंग, सभी एक लय में संगीत की शास्त्रीय धुनों का आलाप रचते रहते हैं। संगीत रूदन में भी है तो संगीत हास में भी है बस ज़रूरत होती है उसे दो पल ठहरकर सुनने की, कुछ पल ही सही बस जी लेने की । आज हम जिस समय में सांसे ले रहे हैं वह विसंगतियों से भरा है। यहाँ बेहिसाब विकास है, तकनीक का जंजाल है अगर कुछ नहीं है तो वह है खुद से खुद की मुलाकात। इस मुलाकात में संगीत बेहद सहायक सिद्ध हो सकता है। सामवेद संगीत का स्रोत ग्रंथ माना जाता है जिसमें प्रारम्भ में केवल तीन स्वरों का ही उल्लेख है । इसके पश्चात् तीन से सात सुरों तक का सफर भी शोध और आनंद दोनो ही दृष्टियों से बहुत ही रोचक है। संगीत को केवल सात सुरों में ही नहीं बाँधा जा सकता है वरन् इसको मापने के लिए विश्व और ब्रह्माण्ड की समस्त सीमाएँ भी छोटी जान पड़ती है। संगीत वैविध्य की सीमाओँ में बँधे विश्व को एक सूत्र में बाँधने का काम करता है। संगीत के महत्व की अगर आज के परिप्रेक्ष्य में बात की जाए तो आज की जरूरत है संगीत। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार आज हर तीसरा व्यक्ति हाइपरटेंशन और अवसाद से ग्रस्त है । हाइपरटेंशन स्वंय अनेक बीमारियों को बुलाने का सामर्थ्य रखता है । अगर जीवन में कुछ पलों के लिए ही संगीत स्थान पा ले तो अनेक बीमारियों पर काबू पाया जा सकता है। यही कारण है कि सम्पूर्ण विश्व में संगीत एक थैरेपी बन कर उभर रहा है। कनाडा अवस्थित मैकगिल विश्वविद्यालय के स्नायु विज्ञान विशेषज्ञ एवं अपने समय के ख्यात रोक संगीतकार डैनियल लैविटीन का कहना है संगीत भावनात्मक जीवन में एक रूपक का काम करता है। भाषा के बरक्स संगीत भावनाओं का कहीं बेहतर प्रगटीकरण करता है। यही कारण है कि संगीत भावनात्मक उथल पुथल को व्यवस्थित करने में कारगर होता है। संगीत को करीब से सुनने पर उसमें डूब जाने पर वह ध्यान सा आनन्द देता है और यही संगीत जब रूह को जगाने लगे तो वह समाधि अवस्था तक पहुँचा देता है जिसके समक्ष जीवन के सातों सुख छोटे जान पड़ते हैं। मन की हर ऊभचूभ को संगीत थिर करता है बशर्ते की हर एक मन अपने होश हो हवाश में , दिल के हर कोने से ,रोम रोम से उस संगीत को सुने। आधुनिक शोधों से यह भी स्पष्ट है कि संगीत की मदद से एकाग्रता और स्मृति को भी बढ़ाया जा सकता है। आज तकनीक के इस युग में संगीत में भी अनेक प्रयोग किए जा रहे हैं परन्तु साथ ही चिंता का एक विषय यह भी हो सकता है कि शास्त्रीय संगीत कुछ ही लोगों तक सिमट कर रह गया है,संगीत के पारपंरिक घराने आज समाप्त हो रहे हैं।
बहरहाल संगीत के क्षेत्र में अब भी बहुत कुछ अनसुना है, बहुत रागें हैं, बंदिशें है जिसे सुनते हुए आप कब आध्यात्मिक गलियारों की जानिबें चढंते जाएंगे पता ही नहीं चलेगा। संगीत की समझ को अगर कुछ विकसित कर लिया जाए तो समय की धारा के भीतर प्रवेश कर उस के गूढ रहस्यों का पता लगाने तक का हुनर है संगीत के पास । वह यूँ ही नहीं रचा गया है ,कई व्यक्तित्वों के गहन शोध और तपस्या की प्रतिफल है संगीत। वेदो की ऋचाओँ का नृत्य बेमानी नहीं है शायद यही कारण है कि पूरब और पश्चिम दोनों ही संस्कृतियों ने युगों युगों तक इस पर शोध किया है और प्रतिफल में पाया है कि प्रकृति को मोहपाश में बाँधने तक का हुनर है संगीत के पास। यह शोध साहित्य में भी नजर आता है जहाँ कहीं अज्ञेय की असाध्यवीणा की तान है जिसमें संगीत की व्यष्टि से समष्टिपरक व्याख्या है तो कहीं फेदरिको के गिटार का रूदन । वस्तुतः किसी भी अभिव्यक्ति का चरम है संगीत , लय और ताल की उस जुगलबंदी का नाम है संगीत जो दिल के समस्त कोनों की थाह लेना जानता हो। चाहे आप उस्ताद सुल्तान खान की सारंगी सुने , या उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई को या फिर पश्चिम के कर्टकोबेन के झकझोरने वाले संगीत को या फिर हमारे ही अमीर खुसरों के भाषायी संगीत से ताल्लुक रखें बात सिर्फ इतनी सी है कि उसे सुने ज़रूर। संगीत से एक जुड़ाव और आत्मीय समझ विकसित करें । आज जंरूरत है नई पौध में भी संगीत की समझ विकसित करने की क्योंकि संगीत जीवन का दूसरा नाम है। यह अवसाद का इलाज है और चेतना को विकसित करने का नया आयाम है। प्रकृति और परिस्थतियाँ सदैव अनुकूल नहीं हो सकती । इसीलिए संगीत वह मुकाम है जहाँ पहुँचकर कभी भी मन की ऊसर जमीन को बारिशों से भिगोकर पुनर्ववा किया जा सकता है। अंततः संगीत और जीवन के इस अन्योन्याश्रित संबंध को सलाम और विश्व संगीत दिवस पर सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएँ।