राजनीतिक गलियारे आज दूषित मनोवृत्ति से हलकान हैं. यही कारण है कि स्वच्छता अभियान की सर्वाधिक आवश्यकता यदि कहीं है तो यहीं हैं. जब तक किसी भी देश में सत्तारूढ़ दल और विपक्षी दल एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप ही करते रहें और उनका ध्यान मौजूदा समस्याओं से हट जाए तब तक उस देश में विकास के मापदंडों को प्राप्त नहीं किया जा सकता. आखिर कब तक हम अतीत का विज्ञापन कर के उसी आदर्श की दुहाई देते रहेंगें. गीता सदियों से एक बुलेट प्रूफ जैकेट की तरह हमारे साथ है और हम भी उसे सीने से चिपकाए हुए हैं, क्या कारण रहें होंगें कि सदिया बीत गई परन्तु गीता जैसा ग्रंथ फिर लिखा ही ना सका. आखिर कब तक हम भूत पर ही इतना अभिमान करते रहेंगें .
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