शरद पूर्णिमा पर...
1.शांत सनातन नील व्योम से ,
दे रहे तारागण आशीर्वाद.
ऋतु परिवर्तन से हो रहा ,
इस धरती का पुनर्जन्म..
2. ज्योत्सना दिवस यह आतप मुक्ति का,
ज्यों प्रतिबिम्ब है लीला ऩटी का.
अमृत कला की निज दृष्टि से,
हरता ताप संपूर्ण सृष्टि का..
3. शुक्ल रात्रि शरद ऋतु की,
सरस्वती जैसा शुभ्र स्वरूप
विशाखा का उदित नक्षत्र इसमें
ज्यान प्राप्ति का मणिकांचन संयोग...
No comments:
Post a Comment