Sunday, March 17, 2013
गुलमोहर के फूल.....
गुलमोहर के फूल.....
सांझी आशाएँ और विश्वास लिए,
बसंत आगमन का संकेत लिए,
आने को आतुर हैं,आँचल में,
ये कोमल गुलमोहर के फूल .......
.....पर ..कैसे इनका स्वागत करूँ?
जीवन सफ़र में कड़ी धूप है ,
पर होंसला बढ़ाने की आस हैं,
ये कोमल गुलमोहर के फूल,
पर प्रश्न फिर भी यक्ष हैं,
कि... कैसे !!इनका स्वागत करूँ?
लौट आयें हैं सगुन पंछी,
कौंपलें भी हैं फूटने को आतुर ,
मिल रहें हैं अब संकेत कई,
पल पल है एहसास नए,
...पर ..कैसे !!इनका स्वागत करूँ?
नवीन अनुभव लिए है हर दिन,
जीवन तिक्तता भी है कुम्लाही सी,
अब इस स्नेहिल छावं तले,
पर प्रश्न फिर भी अहं है,
कि, कैसे !!मैं इनका स्वागत करूँ???
जीवन संध्या है निकट खड़ी,
अनुभवों को संजोये कई,
विमल एहसास है मगर यही,
ये कोमल गुलमोहर के फूल,
पर प्रश्न फिर भी है आज वही,
कि ,कैसे!! मैं इनका स्वागत करूँ ??
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