दिल की हसरत छुपाऊं कैसे,
चाहत अपनी जताऊं कैसे।
जिंदगी ने कुछ यों मोड़ लिया
राह पर इसको लाऊं कैसे ।
यादों के घनेरे जंगल हैं,
आशियाँ सपनों का बनाऊं कैसे।
उम्मीदों के पंख लगाकर ,
हसरतों के पंछी उडाऊं कैसे।
रातों की जागती तन्हाइयों में,
ख़ुद को ख़ुद से बहलाऊं कैसे।
प्यार का एहसास रुला देता है ,
ख़ुशी इन अश्कों की दबाऊं कैसे।
ज़िन्दगी करीब नज़र आती है,
तुमको भी करीब लाऊं कैसे..........
विमलेश शर्मा .......
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