जिंदगी से जो एक बार जो पूछा मैंने ,
प्यार शब्द क्यों बनाया तुने....
हंस दी वो मेरे हालात पर ,
जो बात थी वह जानकर ।
बोली फिर वोह तपाक से ,
जो प्यार जिंदगी मैं हुआ न होता ......
पत्थर दिल किसी का रोया न होता ,खुशी की बहार आई न होती...
रस की कली वो खिली न होती, ख्वाब किसी का टूटा न होता....
जो प्यार जिंदगी मैं हुआ न होता.......
मैं खड़ी थी मूक सी यह सुनकर,
जीवन का सारा यथार्थ जानकर ,
कोई ख्वाब कभी न बुना हो जैसे,
कोरे कागज सा कोई मन हो जैसे।
1 comment:
Excellent....
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